एक सौगात: ज़िंदगी

ईश्वर की दी हुई सौगात है ज़िंदगी,
है स्वस्थ शरीर तो साथ है ज़िंदगी ।
है स्वच्छ मन और हृदय में अनुराग,
तो खुशियों की है बहार ज़िंदगी ।

हर दिन एक नया जन्म, एक नई कोशिश, एक नई उम्मीद है ज़िंदगी,
गिर कर, उठ कर, कठिनाइयों से लड़खड़ाते हुए ऊंचाइयों पर पहुंचने का है नाम ज़िंदगी ।
छोटे छोटे पलों से गुजरते हुए सुख दुख के साथी समय की है भेंट ज़िंदगी,
व्यथाओं से जूझ कर, संघर्षों से उभरकर दुनिया रूपी इंद्रधनुष के रंगों में रंग जाने का है नाम ज़िंदगी।
हैं अगर विनम्रता की मूरत हम और बने करुणा का सागर हम तो जीवंत है ज़िंदगी,
प्रकृति के चित्रण से दार्शिक चित्रों और सुंदर चरित्रों की है प्रभात ज़िंदगी।

है स्वच्छ मन और हृदय में अनुराग,
तो खुशियों की है बहार ज़िंदगी।
है स्वस्थ शरीर तो साथ है ज़िंदगी,
ईश्वर की दी हुई सौगात है ज़िंदगी।

नमन खरे

I wrote this poem during the pandemic time, with an optimistic and positive approach, given the situation at that time…

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2 Comments

  1. Aabha

    Naman, this poem is written so well
    Your are really gifted and talented
    Loved reading it
    Well done

    • Thank you so much for your compliments didi. I hope I did justice to your reaction to the poem. Thanks for the encouragement didi, it means a lot to me! 😊

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